सुख-दुख के फेरों में उलझा था जब मैं, उन्ही फेरों का समष्टि सार बन आई तुम मेरे मन की तरंगों में। सुख-दुख के फेरों में उलझा था जब मैं, उन्ही फेरों का समष्टि सार बन आई तुम मेरे म...
मैं इस कविता के माध्यम से देश के युवाओं को अपने मन को नियंत्रण में रखने का सन्देश देना चाहता हूँ क्य... मैं इस कविता के माध्यम से देश के युवाओं को अपने मन को नियंत्रण में रखने का सन्दे...
महिला का कर्जा और दर्जा कोई नहीं ले सकता। महिला का कर्जा और दर्जा कोई नहीं ले सकता।
खिलते फूलों की तरह होती है महिला, अंधेरे में भी तारों जैसे चमकती है महिला! खिलते फूलों की तरह होती है महिला, अंधेरे में भी तारों जैसे चमकती है महिला!
ऐ शक्तिस्वरूपा नारी सुन, शोषण तू सहना नहीं, अब और चुप रहना नहीं। ऐ शक्तिस्वरूपा नारी सुन, शोषण तू सहना नहीं, अब और चुप रहना नहीं।
बनी रहे नर के मन में नारियों के लिए श्रद्धाभक्ति ! बनी रहे नर के मन में नारियों के लिए श्रद्धाभक्ति !